Sunday, October 2, 2011

MERI KAVITA

अँधेरे की उमर 

रगों में जब 
पसरने  लगे  अँधेरा 
और साथ छोड़ दे 
दुनिया भर की बिजलिया 
प्रवेश करना अपने भीतर 
वहां  जल रहे होंगे  सहश्रो  दीये  !!  
    
अँधेरे की उमर  

चार पहर से अधिक 
भला  कब हुई  !!
खटखटाना  
साहस  और  धैर्य  कीं  कुंडिया  
सूरज  खुद  दरवाजा  खोलेगा  !!

Monday, September 5, 2011

   मै कुछ निजी कारणों से अपने इस संवाद मंच का सदुपयोग नहीं कर पा रहा था | अब आज नए सिरे  से अपने मित्रो से जुड़ रहा हू इस जानकारी के साथ की जल्द ही सर्वनाम का नया अंक आने वाला है मैं यहाँ उसी की तैयारी में लगा हुआ हू.....................................................रजत कृष्ण -------------------०५.०९.२०११.



Thursday, February 3, 2011

pravesh


मुझे बेहद ख़ुशी  है कि मैं अपने  ब्लॉग के माध्यम से आप सभी से जुड़ रहा हूँ . संचार की इस तीव्र और विशाल दुनिया में शायद मैं देर से पहुंचा. पहले से पहुंचे हुए लोगों  को मेरा अभिवादन ! अपने इस पहले पत्र में मै  यह ख़ुशी आपसे बाँटना चाहूँगा  कि हमने संकल्प प्रकाशन की शुरुआत करते हुए पांच काव्य संग्रहों का प्रकाशन किया है , जो इस प्रकार हैं - 
  1. शांति निकेतन से हटकर (विष्णुचंद्र शर्मा,दिल्ली )
  2. कुछ हिस्सा तो उनका भी है (भास्कर चौधुरी,कोरबा)
  3. अपने हिस्से का प्रेम (नित्यानंद गायेंन, हैदराबाद) 
  4.  काले कोट वाले जंगल में (सूरजप्रकाश राठोर,कोरबा) 
  5.  छत्तीस जनों वाला घर (रजत कृष्ण,बागबाहरा) 

         आशा  है कि आपका स्नेह और सहयोग मिलता रहेगा.
                                               
           03 / 02 / 2011                                                                    आपका - रजत कृष्ण




sankalp: Poem

sankalp: Poem: "The moon was smilingcan't tell whybut ...it was"

Andhere ki umar

Sunday, January 30, 2011